सुप्रीम कोर्ट ने 2023 अकोला दंगों के पीड़ित की याचिका पर पुलिस को एफ आई आर दर्ज के निर्देश दिए ।

नई दिल्ली: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 2023 के अकोला दंगों में घायल हुए मोहम्मद अफजल मोहम्मद शरीफ द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर महाराष्ट्र पुलिस को नोटिस जारी किया था यह याचिका एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एपीसीआर) की मदद से दायर की गई थी।

न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ के समक्ष 23 मई को सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस जांच में हुई कमियों और संवैधानिक अधिकारों की अनदेखी पर गंभीर सवाल उठाए गए थे।

याचिकाकर्ता मोहम्मद अफजल ने दंगे के दौरान हुई चोटों के बावजूद पुलिस द्वारा प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज न करने का आरोप लगाया है। याचिका में इस बात पर जोर दिया गया है कि यह एक “फिट केस ऑफ रजिस्ट्रेशन ऑफ एफआईआर” (एफआईआर दर्ज करने का एक उपयुक्त मामला) है, क्योंकि यह एक मेडिको-लीगल केस (चिकित्सा-कानूनी मामला) है।

पीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कई महत्वपूर्ण निर्देश भी दिए हैं:

  • एफआईआर दर्ज करने का निर्देश : कोर्ट ने तुरंत प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है।
  • एसआईटी का गठन : मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए, हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित करने का निर्देश दिया गया है।
  • तीन महीने में रिपोर्ट : एसआईटी को तीन महीने के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
  • पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई : पीठ ने यह भी कहा कि जिन पुलिस अधिकारियों ने अपनी ड्यूटी में लापरवाही बरती है, उनके खिलाफ कानून के अनुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।

एपीसीआर की ओर से इस मामले की पैरवी सीनियर काउंसिल अभय थीप्से, एडवोकेट फौजिया शकील (एओआर), एडवोकेट शोएब इनामदार और एडवोकेट एम हुजैफा ने की।

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