
अकोला, 7 अगस्त: नदियों के पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने के लिए राज्य सरकार ने प्राकृतिक रेत के विकल्प के रूप में कृत्रिम रेत (एम-सैंड) को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। इस दिशा में जिला प्रशासन ने कृत्रिम रेत के उत्पादन को बढ़ावा देने की पहल की है, जिससे संबंधित उद्योगों का विकास हो सकेगा। यह जानकारी जिलाधिकारी अजीत कुंभार ने आज नियोजन भवन में राजस्व सप्ताह समापन के अवसर पर आयोजित एम-सैंड नीति कार्यशाला में दी। उन्होंने कहा कि इस नीति का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक रेत पर निर्भरता को कम करना, पर्यावरण का संरक्षण करना और निर्माण क्षेत्र को उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण रेत उपलब्ध कराना है। इस पहल के तहत कृत्रिम रेत का उत्पादन करने वाले पहले 50 उद्यमियों को जिला प्रशासन की ओर से विशेष रियायतें दी जाएंगी। कार्यशाला में प्र. अपर जिलाधिकारी महेश परांडेकर, उपजिलाधिकारी निखिल खेमनार, प्रदूषण नियंत्रण मंडल के उपप्रादेशिक अधिकारी महेश भिवापुरकर, जिला खनिकर्म अधिकारी विशाल धांडे, भूजल सर्वेक्षण एवं विकास यंत्रणा के उपसंचालक श्री कराले, जिला सूचना विज्ञान अधिकारी अनिल चिंचोले, तहसीलदार सुरेश कवळे, सीए पंकज अग्रवाल समेत खनन पट्टा धारक और विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।